माना जाता है की इंसान की उम्र 80 से 100 तक ही होती है ! अपवाद को भी जोड़े तो ज्यादा से ज्यादा 120 साल एक सामान्य इंसान की उम्र मानी जाती है ! लेकिन न्यूयोर्क टाइम्स में प्रकाशित एक शोध के अनुसार एक ऐसा सख्श भी दुनिया में था जिसने ज़िन्दगी को 256 साल तक जिया ! 1933 में प्रकाशित इस रिपोर्ट में चीन के इतिहासकार वु चंग जी ने दावा किया था की चीन के एक व्यक्ति जिनका नाम लि चिंग यून ने अपने जिंदगी के 256 सालो को जिया था !
जन्म और जीवन
शोध के मुताबिक यह कहा गया की लि चिंग यून का जन्म 1677 में चीन के शहर शेजिया में हुवा ! उन्होंने 23 शादियाँ की थी जिनसे उनके 200 से ज्यादा बच्चे थे ! वह एक प्राकृतिक चिकित्सक तो थे ही साथ साथ उन्हें मार्शल आर्ट में भी महारत हासिल थी ! चिंग से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने वु को एक पुराना डॉक्यूमेंट दिखाया था जिसमे चीन के राजा ने उन्हें सन 1827 में 150 साल पुरे करने की बधाई दी थी ! इस डॉक्यूमेंट को आधार मानकर ही यह बताया गया की चिंग का जन्म 1677 में हुआ था !
256 साल जीने का राज़
वैसे तो डॉक्यूमेंट के आधार पर माना गया की चिंग 256 साल तक जिए लेकिन इस बीच सवाल ये उठता है की वो इतने सालो तक कैसे जी पाए ! आखिर उनकी इतनी लम्बी उम्र का राज़ क्या था ! कई लोगो का मानना है की उनकी इतनी लम्बी ज़िन्दगी का कारण था उनका चिकित्सक होना !
10 साल की उम्र में ही उन्होंने मेडिकल-साइंस में रूचि दिखानी शुरू कर दी थी और इसी बीच अपना बिज़नेस भी शुरू कर दिया था ! उन्होंने कई पहाड़ो और जंगलो में घूमकर जड़ी बूटियों को एकत्र किआ जिससे उन्हें पता चला की कैसे वो लम्बे समय तक जी सकते है ! अपनी ज़िन्दगी के 40 सालो तक उन्होंने इन जड़ी बूटियों का सेवन किया जिनमे शामिल है – लिंग्ज़ी, गोजी बेरी, जंगली जींसेंग, गोडू कोला और चावल से बने शराब ! 71 साल की उम्र में वो चीनी सेना में मार्शल आर्ट के शिक्षक के रूप में शामिल हुए !
हलाकि इन दावों को गेरोन्टोलॉजिस्ट्स ने एक मिथ कहकर नकार दिया लेकिन चिंग की उम्र का सही अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल था ! चिंग ने जड़ी बूटियों को खोजने के दौरान कई जगहों की यात्रा कर ली थी ! उन्होंने जड़ी बूटियों को खोजने और बेचने का कारोबार 100 साल की उम्र तक किया उसके बाद उन्होंने दूसरो द्वारा लायी गयी जड़ी बूटियों को बेचना शुरू कर दिया ! चिंग का अपनी लम्बी आयु के बारे में कहना था कि “शांत रहो, कछुए की तरह बैठो, कबूतर की तरह चलो और एक कुत्ते की तरह नींद लो।”
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